जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में बुधवार को हुए भीषण एनकाउंटर में सुरक्षाबलों ने दो आतंकवादियों को मार गिराया, लेकिन इस दौरान तीन बहादुर पुलिसकर्मी शहीद हो गए। इस मुठभेड़ में पांच जवान घायल भी हुए हैं, जिनमें एक डिप्टी एसपी स्तर के अधिकारी शामिल हैं।
कैसे शुरू हुआ ऑपरेशन?
बुधवार सुबह कठुआ जिले के हीरानगर सेक्टर में संदिग्ध गतिविधियां देखी गईं। खुफिया इनपुट मिलने के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस, सेना और सीआरपीएफ ने इलाके में तलाशी अभियान शुरू किया। इसी दौरान घने जंगलों में छिपे आतंकवादियों ने सुरक्षाबलों पर फायरिंग शुरू कर दी, जिसके बाद मुठभेड़ छिड़ गई।
प्रारंभिक रिपोर्ट्स के मुताबिक, आतंकवादियों का यह समूह हाल ही में घुसपैठ कर भारत में दाखिल हुआ था और किसी बड़े आतंकी हमले की फिराक में था। लेकिन सुरक्षाबलों ने समय रहते उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया।
शहीदों की वीरता को सलाम
इस मुठभेड़ में तीन पुलिसकर्मियों ने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। उनके बलिदान ने यह साबित कर दिया कि भारत की सुरक्षा में तैनात जवान आतंकवाद के हर मंसूबे को ध्वस्त करने के लिए तत्पर हैं।
घायलों में एक डिप्टी एसपी (DSP) और चार अन्य सुरक्षाकर्मी शामिल हैं, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उनकी स्थिति फिलहाल स्थिर बताई जा रही है।
आतंकियों का सफाया, साजिश नाकाम
मारे गए आतंकवादियों की पहचान अभी सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि वे उसी ग्रुप से जुड़े थे, जिसने हाल ही में कठुआ और सांबा जिलों में घुसपैठ की थी।
सूत्रों के मुताबिक, यह एनकाउंटर करीब आठ घंटे तक चला, जिसमें भारतीय सेना की विशेष टुकड़ियों (स्पेशल फोर्सेस) ने भी अहम भूमिका निभाई। ऑपरेशन के दौरान भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया गया है, जिससे यह साफ होता है कि आतंकवादी किसी बड़े हमले की योजना बना रहे थे।
इलाके में हाई अलर्ट, तलाशी अभियान जारी
इस मुठभेड़ के बाद कठुआ, सांबा और जम्मू के अन्य संवेदनशील इलाकों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। पुलिस और सुरक्षा बलों ने इलाके की घेराबंदी कर व्यापक तलाशी अभियान शुरू कर दिया है, क्योंकि यह आशंका जताई जा रही है कि कुछ और आतंकवादी जंगलों में छिपे हो सकते हैं।
सुरक्षा एजेंसियों की कड़ी निगरानी
इस ऑपरेशन के बाद खुफिया एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं। हाल के दिनों में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों में बढ़ोतरी देखी गई है, जिससे सुरक्षा बलों को लगातार सतर्क रहना पड़ रहा है।
डीजीपी जम्मू-कश्मीर नलिन प्रभात खुद मौके पर पहुंचे और ऑपरेशन की निगरानी की। उन्होंने साफ कहा कि आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए सुरक्षाबल किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।
क्या यह नया आतंकवादी मॉड्यूल था?
सुरक्षा एजेंसियां इस बात की जांच कर रही हैं कि क्या मारे गए आतंकवादी किसी नए मॉड्यूल का हिस्सा थे। हाल के दिनों में पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों ने जम्मू क्षेत्र में घुसपैठ बढ़ाने की कोशिशें तेज कर दी हैं, जिससे सुरक्षाबलों की चुनौतियां बढ़ गई हैं।
सरकार का कड़ा संदेश
इस हमले के बाद केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ ‘नो टॉलरेंस पॉलिसी’ जारी रहेगी। गृहमंत्री अमित शाह ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि “आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी और इसके खात्मे तक हम चैन से नहीं बैठेंगे।”
कठुआ का यह एनकाउंटर एक बार फिर दिखाता है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की समस्या खत्म नहीं हुई है। हालांकि, सुरक्षाबलों की तत्परता और बहादुरी के चलते आतंकवादियों के नापाक मंसूबों को नाकाम कर दिया गया है।
लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर आतंकवाद का यह सिलसिला कब थमेगा? क्या सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की जरूरत है? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में मिलेंगे, लेकिन एक बात साफ है – भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगा।
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