जुलकर नैन की कलम से…
दोस्तों सपने तो हम सब देखते हैं। और उसको साकार करने का भरपूर प्रयत्न करते हैं। लेकिन यही सपना एक वैज्ञानिक देखता है। उसे साकार करने की पूरी कोशिश करता है।
जब यह सपना सफल होता है। तो जीवन को सरल और आसान बनाने वाला कोई न कोई उपकरण दुनिया को मिल जाता है। तो दुनिया आश्चर्यचकित हो जाती है। चकित होना लाजिम है। क्योंकि प्रयास अथक है तन, मन, धन से है यह चमत्कार सिद्धान्त के रूप में भी हो सकते हैं।
वैज्ञानिक प्राकृतिक के गुण रहस्य को हमारे सामने रखते हैं। उसकी जानकारी देकर उसका उपयोग हमारी जिंदगी को आसान बनाने के लिए करते हैं। वो सुई जहाज अन्य आधुनिक यंत्र कुछ भी हो सकता है।
विज्ञान हमेशा हमारे साथ है। पल-पल आगे बढ़ती जिंदगी विज्ञान के चमत्कार यानी घड़ी की टिक-टिक के साथ कैसे आगे बढ़ रही है। इच्छाएं आविष्कार की जननी होती है। और इसके लिए पनपता है अथक प्रयास जो मंजिल तक पहुंचने को दम्भ भरती है और सफल भी होती है।
अविष्कार होते रहे हैं, हो रहे हैं और होते रहेंगे। एक वैज्ञानिक का आविष्कार दुनिया को बदल कर रख देता है। विज्ञान बहुत सारे जिज्ञासाओं का जवाब है। जैसे समुद्र का पानी नीला क्यों है? इसका उत्तर प्रकाश और दृश्य के सिद्धांत से है इसकी जानकारी रमन इफेक्ट के प्रतिपादन के बाद पता चला।
रमन इफेक्ट के जनक है महान वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकटरमन को 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। चंद्रशेखर वेंकटरमन विज्ञान के क्षेत्र में सम्मान पाने वाले पहले एशियाई हैं।
28 फरवरी 1928 को रमन इफेक्ट प्रतिपादित हुआ। इसलिए यह दिन विज्ञान और वैज्ञानिकों के नाम किया गया और इस दिन को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस घोषित किया गया।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस यानी नेशनल साइंस डे (National science day) जो प्रति वर्ष 28 फरवरी को मनाया जाता है। कोई भी अविष्कार वैज्ञानिकों के अनेक वर्षों के अथक प्रयास का परिणाम होता है विज्ञान के आविष्कारों में ट्रेन जो 2000 वर्षों की लंबी परिश्रम भरी यात्रा तय करके आज हमारी यात्रा को सुलभ बना रहा है।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने का उद्देश्य है कि हम वैज्ञानिक विचारधारा और उनके दृष्टिकोण को समझें एवं मानवहित में हो रहे वैज्ञानिक क्रियाकलापों और प्रयासों, उपलब्धियों से वाकिफ हो। ताकि घटनाएं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखी जा सके हम सब अंधविश्वास से परे होकर वैज्ञानिक चेतना का विकास कर सकें। और आगे बढ़े विज्ञान में हमें बहुत कुछ दिया है। देता आ रहा है। और भविष्य में देता रहेगा।
आज के दौर में हमारे हर पल का साथी जो हमारी हथेलियों से चिपका रहता है। यानी मोबाइल वह भी तो विज्ञान की ही देन है बहरहाल हमें इस दिन कहीं भी, कभी भी, स्कूल हो या कॉलेज या सेमिनार बच्चों या बड़ों को अधिक से अधिक वैज्ञानिक विचारधारा से अवगत कराना चाहिए ताकि उनकी चेतना का विकास हो तभी उनका उज्जवल भविष्य हो सकता है।
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