हरियाणा – गुरुग्राम के सार्वजनिक स्थानों पर होने वाली जुम्मे की नमाजों पर हरियाणा की बीजेपी सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शख्त निर्देश दिया है कि खुले में नमाज़ कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
हफ्ते में एक बार शुक्रवार के दिन आधे घंटे के लिए 100-150 लोग गुरुग्राम के अलग अलग सार्वजनिक स्थानों पर जुम्मे की नमाज़ अदा करते है। पिछले कुछ महीनों से चंद हिंदू संगठन इसका विरोध कर रहे है प्रत्येक शुक्रवार को मुसलमानों को नमाज़ पढ़ने से रोकने की कोशिश की जा रही है।
हर शुक्रवार सैकड़ों मीडिया के कैमरे नमाज में खलल डालने वाले विजुअल कैद करने के लिए पहुंच जाते है। और अपने हिसाब से प्रसारित करते है कोई नमाजियों को बुरा कहता है तो कोई इन्हें रोकने वाले संगठन को! पर सच बताने की किसी की हिम्मत ही नहीं रही।
नजदीकी में मस्जिदों के अभाव के कारण लोग सार्वजनिक स्थान पर नमाज पढ़ने के लिए विवश है। खुले में नमाज पढ़ने वाले लोगों में सर्वाधिक प्रवासी है जो रोजी रोटी के लिए आस पास के प्रदेशों से कमाने के लिए आए है। इन स्थानों पर नमाज पढ़ने वाले लोगों में स्थानियों की संख्या निम्न है।
संप्रदायिकता की राजनीत करने वाली सत्ताधीश पार्टी के मुख्यमंत्री अपने प्रदेश में देश के अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को सार्वजनिक स्थानों पर पूजा करने से रोक दिया है। सार्वजनिक स्थानों पर सबका हक़ बराबर होता है। लेकिन जबरन एक समुदाय का हक छीना जा रहा है, जो लोकतंत्र के लिए घातक है।
मुस्लिम समुदाय इस देश में दोहरे दर्जे के नागरिक नहीं है. उनकी जनसंख्या कम जरुर है. ये समाज खुले में नमाज पढने की कोई नई प्रथा की शुरुआत नहीं कर रही है. वे सदियों से जुमे, ईद और बकरीद की नमाज आधे से एक घंटे खुले साफ स्थनों पर पढ़ते है.
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