पहली कलम से 10 लाख रोजगार दूंगा – तेजस्वी यादव

पटना: बिहार में चुनावी सरगर्मियां तेज है चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है सियासी पारा चढ़ता जा रहा है।

राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू यादव के सुपुत्र व बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अगर हमारी सरकार आई तो पहली कलम से 10 लाख युवाओं को रोजगार दूंगा।

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पूर्व उपमुख्यमंत्री ने असहाय और वृद्धों को पेंशन देने की बात कही और प्रवासी मजदूरों के लिए कल कारखाने लगाने का वादा किया।

तेजस्वी यादव मंच पर पूरे तेवर में नजर आए। भाषण के दौरान तेजस्वी के चेहरे पर जनता के प्रति उदारता और जबान पर बिहार की लोकल भाषा झलक रही थी।

श्री यादव ने युवाओं से रूबरू होते हुए बिहार की लोकल भाषा भोजपुरी में कहा कि मुझे आशीर्वाद दीजिए, घबराइए मत, मैं फॉर्म भरने का भी पैसा नहीं लूंगा।

बिहार सरकार पर निशाना साधते हुए श्री यादव ने कहा कि हमारे पलटू चाचा हार मान चुके हैं, वह युवाओं को रोजगार नहीं दे सकते, असहाय और वृद्धों को पेंशन नहीं दे सकते, प्रवासी मजदूरों के लिए कल कारखाने नहीं लगा सकते,

वह बिहार को विकास की राह पर ले जाने में सक्षम नहीं है। आगे उन्होंने कहा कि पलटू जी दावा करते हैं कि डबल इंजन की सरकार है. लेकिन बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिला सके।

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गौरतलब है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा से यह कहते रहे हैं कि हम बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिला कर रहेंगे.

लेकिन इस वादे को नीतीश कुमार कब पूरा करेंगे इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है क्योंकि पिछले डेढ़ दशक से वह बिहार की सत्ता पर काबिज है।

नीतीश का हमेशा बीजेपी के साथ गठजोड़ रहा है और आज बीजेपी केद्र पर काबिज हैं। ऐसे में नीतीश कुमार के लिए बिहार को स्पेशल राज्य बनाना बाएं हाथ का खेल है।

लेकिन वह क्या कहते हैं कि नेताओं की बोली बोल वास्तविकता से दूर होती है। नीतीश कुमार यह बात बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि वह बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिला सकते

क्योंकि अगर हिमालय पर चढ़ना हो और रुक हिंद महासागर की तरफ हो यह असंभव है। लेकिन जनता को मूर्ख बनाने से ही इनकी सियासत चमकती है।

पूरे भारत में जम्मू कश्मीर ही एक ऐसा प्रदेश था जिसे विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त था। लेकिन केंद्र में बैठी बीजेपी सरकार ने उससे भी यह खूबसूरती छीन ली।

ऐसे में नीतीश कुमार, जो विशेष राज्य के दर्जा के अधिकार को छीन लेते हैं उनसे अपने राज्य को विशेष राज्य कैसे बनवा सकते हैं।

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तेजस्वी के वादों पर भी पूरी तरह विश्वास करना बेईमानी ही होगा क्योंकि नेताओं की बोल और वास्तविकता दोनों अलग-अलग बातें हैं।

हो सकता है कि तेजस्वी सत्ता में आते ही अपने वादों से मुकर जाएं। और यह भी हो सकता है कि वह सत्ता में आते ही अपने किए हुए वादों से ऊपर उठकर और भी ज्यादा कार्य करें।

बिहार की जनता से बात करने पर उनका झुकाव तेजस्वी की तरफ ही दिखा। क्योंकि नीतीश कुमार के वादों पर विश्वास करना बिहार की जनता के लिए लोहे के चने चबाने जैसा है।

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