बैंकॉक/मांडले: शुक्रवार, 28 मार्च 2025 की सुबह जब दक्षिण पूर्व एशिया के लोग अपने दिन की शुरुआत कर रहे थे, तभी धरती हिल उठी। म्यांमार और थाईलैंड में 7.7 तीव्रता के भूकंप ने तबाही मचा दी। इसका केंद्र म्यांमार के मांडले के पास था, लेकिन इसके झटके थाईलैंड, बांग्लादेश, चीन और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों तक महसूस किए गए।
भूकंप के असर की पहली झलक
मांडले में बड़ी संख्या में इमारतें जमींदोज हो गईं। लोगों में अफरातफरी मच गई, और कई इलाके मलबे में तब्दील हो गए। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक म्यांमार में कम से कम 25 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों घायल हुए हैं। हालात इतने गंभीर हैं कि वहां की सैन्य सरकार ने छह क्षेत्रों में आपातकाल घोषित कर दिया है और अंतरराष्ट्रीय मदद की अपील की है।
थाईलैंड में स्थिति कुछ अलग थी। बैंकॉक की गगनचुंबी इमारतें इस झटके से कांप उठीं। कुछ जगहों पर ऊंची इमारतों के शीशे टूट गए, तो कुछ निर्माणाधीन इमारतें ढह गईं। एक निर्माण स्थल पर तीन मजदूरों की मौत की खबर है। बैंकॉक मेट्रोपॉलिटन एडमिनिस्ट्रेशन (BMA) ने शहर के कुछ हिस्सों को आपदा क्षेत्र घोषित कर दिया है।
भूकंप के पीछे की वैज्ञानिक वजह
भूकंप विज्ञानियों के अनुसार, यह झटका इंडो-बर्मा उपद्वीप क्षेत्र में टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल का नतीजा था। यह इलाका “सीज्मिक जोन” में आता है, जहां अक्सर हल्के से मध्यम तीव्रता के भूकंप आते रहते हैं। लेकिन इस बार तीव्रता ज्यादा थी, जिससे नुकसान भी बड़ा हुआ।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस भूकंप का प्रभाव आने वाले हफ्तों तक रह सकता है। आफ्टरशॉक्स (भूकंप के बाद आने वाले छोटे झटके) की संभावना भी बनी हुई है, जिससे कमजोर इमारतों को और नुकसान हो सकता है।
लोगों की जुबानी: “ऐसा लगा जैसे धरती फट जाएगी”
थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में रहने वाली 34 वर्षीय अंजली तिवारी ने बताया, “मैं ऑफिस में थी, तभी अचानक टेबल हिलने लगी। शुरुआत में लगा कि कोई भारी वाहन पास से गुजरा होगा, लेकिन जब पूरी बिल्डिंग हिलने लगी, तो हमें समझ आया कि भूकंप आया है। सब लोग नीचे भागने लगे। कुछ लोगों की आंखों में डर साफ दिख रहा था।”
म्यांमार के ताउंगू इलाके में रहने वाले एक दुकानदार, क्याव लीन, ने कहा, “मैं अपनी दुकान पर बैठा था, तभी जोरदार झटका लगा। मैंने देखा कि सामने वाली बिल्डिंग गिर गई। चारों तरफ धूल का गुबार था और लोग चीख रहे थे।”
राहत और बचाव कार्य जारी
भूकंप प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है। म्यांमार में बचाव दल मलबे में फंसे लोगों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, बैंकॉक में सरकार ने हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं और नागरिकों से सतर्क रहने को कहा है।
भारतीय दूतावास ने थाईलैंड और म्यांमार में मौजूद भारतीय नागरिकों के लिए आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर जारी किया है, ताकि जरूरतमंद लोग मदद मांग सकें।
आगे क्या?
इस भूकंप ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि प्रकृति के आगे इंसान कितना बेबस है। हालांकि, समय रहते सतर्कता बरती जाए, तो जान-माल का नुकसान कम किया जा सकता है। दोनों देशों की सरकारें अब यह सुनिश्चित करने में लगी हैं कि भविष्य में ऐसी प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए और मजबूत इमारतें बनाई जाएं और आपातकालीन सेवाओं को पहले से ज्यादा मजबूत किया जाए।