एनडीटीवी इंडिया के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने अपने फेसबुक हैंडल पर किसानों के नाम एक पत्र लिखा है। पत्र में रवीश कुमार ने किसानों द्वारा नया कृषि कानून का विरोध में भारत बंद की तारीख 25 सितंबर का निर्णय गलत बताया है।
रवीश कुमार ने पत्र में लिखा है “किसान भाइयों बहनों, सुना है आप सभी ने 25 सितंबर को भारत बंद करने का आह्वान किया है। विरोध करना और विरोध के शांतिपूर्ण तरीके का चुनाव करना आपका लोकतांत्रिक अधिकार है। मेरा काम सरकार के अलावा आपकी गलतियों को बताना भी है। आपने 25 सितंबर को भारत बंद करने का दिन गलत चुना है”
व्हाट्सएप विश्वविद्यालय से मूर्खता के ज्ञानी और सत्ता द्वारा सृजित आईटी सेलों का झुंड इस पत्र के कुछ हिस्सों का कट पेस्ट कर रवीश कुमार को किसान विरोधी बता सकते हैं। वैसे ही जैसे विपक्ष के हर बयानों के साथ किया जाता है। मीडिया सरकार का स्थाई विपक्ष होता है। एनडीटीवी इंडिया ही मुख्य समाचारों का एक ऐसा चैनल है जो इस जिम्मेदारी को बखूबी निभा रही है।
नया किसान बिल के विरोध में 25 सितंबर को भारत बंद की तारीख को रवीश कुमार ने गलत इसलिए बताया है कि 25 सितंबर को ही दीपिका पादुकोण की ड्रग सेवन मामले में नारको टेस्ट होने वाला है। जिसकी कड़ी सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या मामले से जुड़ी हुई है। रवीश का स्पष्ट कहना है कि सुशांत सिंह राजपूत मामले में रिपोर्टिंग के आगे किसानों का आंदोलन दब जाएगा।
2014 के बाद मुख्यधारा की मीडिया में आए बदलाव ने जनता के मुद्दों को टेलीविजन स्क्रीनों से दूर ही रखा है। सत्ताधारियों की बखान और विपक्ष का आलोचना करना इनका दायित्व बन गया है। किसानों का लोकतांत्रिक अधिकार आंदोलन को गलत और सरकार की गलत नीतियों द्वारा किसानों के विरुद्ध नया कृषि कानून को जायज ठहराना आधुनिक मीडिया का वर्तमान है।
रवीश कुमार ने कहा है कि “भारत वाक़ई प्यारा देश है. इसके अंदर बहुत कमियां हैं. इसके लोकतंत्र में भी बहुत कमियां हैं मगर इसके लोकतंत्र के माहौल में कोई कमी नहीं थी. मीडिया के चक्कर में आकर इसे जिन तबकों ने ख़त्म किया है उनमें से आप किसान भाई भी हैं. आप एक को वोट देते थे तो दूसरे को भी बगल में बिठाते थे. अब आप ऐसा नहीं करते हैं. आपके दिमाग़ से विकल्प मिटा दिया गया है. आप एक को वोट देते हैं और दूसरे को लाठी मार कर भगा देते हैं.”
अंत में रवीश ने लिखा है” पत्र लंबा है. आपके बारे में कुछ छपेगा-दिखेगा तो नहीं इसलिए भी लंबा लिख दिया ताकि 25 तारीख को आप यही पढ़ते रहें. मेरा यह पत्र खेती के कानूनों के बारे में नहीं है. मेरा पत्र उस मीडिया संस्कृति के बारे में हैं जहां एक फिल्म अभिनेता की मौत के बहाने बालीवुड को निशाने बनाने का तीन महीने से कार्यक्रम चल रहा है. आप सब भी वही देख रहे हैं. आप सिर्फ यह नहीं देख रहे हैं कि निशाने पर आप हैं.”
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