बथुआ बाजार (गोपालगंज) – बालु व कचड़ो से भर चुकी नहर को सरकार मनरेगा मजदूरों द्वारा सफाई करा रही है। लंबी नहर को कई भागों में विभाजित कर ठेकेदारों के हाथ सफ़ाई के लिए सौंप दिया है। कड़ाके के धूप में मजदूर नहर की सफ़ाई कर रहे है. जबकि रात के अंधेरे में ठेकेदार जेसीबी (JCB) द्वारा नहर की सफ़ाई करा कर मनरेगा मजदूरों के पेट पर लात मार रहे है।
मनरेगा भारत सरकार की सबसे बड़ी रोज़गार की गारंटी देने वाली योजना है। 7 सितंबर 2005 को यह योजना वजूद में आई थी इसमें सरकार प्रत्येक वर्ष मजदूरों को 100 दिहाड़ी रोजगार की गारंटी देता है। सरकार इन श्रमिकों से विभिन्न प्रकार के कार्य करा कर इन्हें रोजगार मुहैया कराता है। इस योजना का लाभ उठा कर गरीब श्रमिक अपने परिवार का भ्रमण पोषण करते है।
आधुनिक मशीनरी के दौर में जहां गरीब और गरीब व अमीरों का कुबेर निरंतर बढ़ता जा रहा है इसके लिए वर्तमान सरकारें पूर्णतः जिम्मेदार है. विभागीय अधिकारियों की मनमानी पर सरकारों द्वारा कठोर निर्णय न लेना देश और उसमे बसने वाले नागरिकों के लिए मुसीबत बन गया है सरकारें भी अपनी जिमेदारियों से हाथ झाड़ लेती है तभी तो अरबों की आबादी वाले देश में करोड़ों युवा बेरोजगार है।
जिम्मेदारों को चाहिए की उक्त मामले की गहन जांच कर दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करें। मजदूरों का काम अगर जेसीबी (JCB) करेगा तो मजदूरों के घर चूल्हे नहीं जल पाएंगे। जेसीबी और ठेकेदारों के पास काम का अंबार है ऐसे में मनरेगा मजदूरों के पेट पर लात मरना उचित नहीं है।
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