नई दिल्ली– कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्षया सोनिया गांधी ने प्रवासी मजदूरों से रेलवे किराया वसूलने पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा किया है साथी प्रवासी मजदूरों का किराया वहन करने की घोषणा भी की है।
सोनिया गांधी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी साझा की है। अचानक लाक डाउन के बाद देश के विभिन्न प्रदेशों में भारी संख्या में प्रवासी मजदूर फंस गए. कोरोना वायरस के प्रकोप को समाप्त करने के लिए भारत बंद मजदूरों के लिए मुसीबत का सबब बन गया।
बेगैर किसी निर्मित मैनुअल के बंद हुआ भारत सन 1947 की याद को जागृत कर दिया जब भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ था। बटवारे की “स्वेत” तस्वीरें समाज के अंदर से धीरे-धीरे लुप्त हो रही थी। लाक डाउन के बाद सड़कों पर निकला प्रवासी मजदूरों का जत्था ऐसा लग रहा था जैसे “सादी” तस्वीरें रंगीन हो गई हो।
जो मजदूर सड़कों पर निकले वह सैकड़ों मील तय कर अपने घर जरूर पहुंचे लेकिन रास्तों में कितनों ने दम भी तोड़ दिया। जो लोग फंस गए उन्हें अपना पेट भरना एक चुनौती बन गया। लंबी लाइनों में लंबे समय तक दो नीवालों के लिए खड़े होने वाले मजदूर कितने तो भूखे मारे गए और कितनों ने तनाव में आकर खुदकुशी कर ली।
30 से 35 दिन बाद अपनी घनघोर निद्रा से उठी सरकार प्रवासी मजदूरों के प्रति अपनी सहानुभूति जाहिर करते हुए उन्हें अपने प्रदेश वापस भेजने की घोषणा की है। संसाधन के लिए ट्रेन व बसों का माध्यम चुना गया है। फॉर्म भरवाए जा रहे हैं और प्रवासी मजदूरों को धीरे-धीरे उनके राज्य वापस भेजा जा रहा है।
शर्म की बात यह है कि जिन प्रवासी मजदूरों के पास खाने के लिए पैसे नहीं है उनसे रेलवे व बसों का किराया वसूला जा रहा है। जो मजदूर किराया देने में असमर्थ हैं उन्हें स्टेशन से वापस लौटा दिया जा रहा है। मालूम हो कि यही सरकार विदेश में फंसे लोगों को अपने देश निशुल्क लाई थी। बड़ा सवाल यह है कि प्रवासी मजदूरों के साथ यह सौतेला व्यवहार सरकार किस लिए कर रही है।
कांग्रेस ने मजदूरों को देश की रीढ़ बताते हुए सरकार से आग्रह किया है कि उनके साथ इस तरह का व्यवहार न किया जाए सरकार को याद दिलाते हुए कांग्रेस ने कहा है कि जब गुजरात की एक कार्यक्रम में 100 करोड़ रुपए सरकारी फंड से ट्रांसपोर्ट व भोजन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता हैं तो प्रवासी मजदूरों के लिए रेलवे किराया निशुल्क क्यों नहीं किया जा सकता?
हालांकि सोनिया गांधी ने प्रवासी मजदूरों का किराया भरने की घोषणा कर दी है। वह भुगतान किस माध्यम से करेंगी इसकी कोई जानकारी अभी सामने नहीं आई है। लेकिन प्रवासी मजदूरों के लिए राहत की बात यह है कि अब उन लोगों को भी अपने प्रदेश वापस जाना साकार हो सकेगा जिन्हें किराए के अभाव में स्टेशन से वापस लौटा दिया जा चुका है।
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