वर्तमान भारत में हिन्दू मुसलमान से टीवी का स्क्रीन पटा हुआ है इन दोनो समुदायों के बीच नफरत की खाई तेजी से बढ़ती रहे इसके लिए वह लोग निरंतर मेहनत कर रहे है। सुबह से शाम तक हर खबर में हिंदू मुस्लिम एंगल ढूंढ कर उन्हे परोसा जा रहा है. जनता को गुमराह किया जा रहा है.
देश की बुनियादी समस्याएं जैसे शिक्षा, रोजगार, बिजली सड़क, पानी इत्यादि मूल जरूरी सुविधाओं पर हर रोज की नफरती फालतू बकवासो ने पर्दा डाल दिया है. आजाद भारत में समाचार पत्रिकाये और समाचार टेलीविजन इतने निचले स्तर पर कभी नही गिरे है।
भारत एक विशाल देश है और यहां की संस्कृति और सभ्यता लाखों वर्ष पुरानी है। इस देश में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, पारसी इत्यादि धर्मो के लोगों का एक साथ मिलकर रहने का पुराना इतिहास है। जिसे वर्तमान समय में खंडित करने का प्रयास किया जा रहा है. समाचार पत्रिका और न्यूज चैनलों के साथ सत्ताधीश नेताओं को भी हिंदू मुस्लिम करने में मजा आ रहा है।
दरअसल देश में नफरत फैलाकर धर्म के सहारे चुनाव जीतने का मजा ये लोग चख चुके है। चुनाव दर चुनाव अपने देखा ही है कि कैसे संपरदायकता बीच में आ जाती है। हिंदू, मुसलमान, पाकिस्तान, तालिबान, आतंकवाद, जिहाद और न जाने क्या क्या। लोकसभा हो या विधानसभा कोई भी चुनाव जनता के बुनियादी समस्याओं पर नहीं हो रहा है।
हर जगह संप्रदायकता ठूस दी जा रही है। विपक्ष विकास के नाम पर चुनाव में उतरने की चाहे जितनी भी कोशिश कर ले। लेकिन सत्ता में बैठे नेता मंत्री उसका धार्मिकरण कर ही देते है। विपक्ष के सवालों को प्रिंटेड अखबारों में छापने की शक्ति नहीं है और ना हीं इलैक्टोनिक मीडिया में दिखाने की ताकत है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत अनेक दलों के नेताओं ने इस बात का जिक्र बार बार किया है। न्यूज टीवी प्रत्येक दिन संप्रदायकता से लैस खबरों को ही प्राथमिकता दे रहा है वास्तविकता से दूर अखबार सरकारी विज्ञापनों को खबर की शक्ल में छाप रहा है. अधिकतर उनका ही बयान दिखाया व छापा जा रहा है जो सरकार के पक्ष में बोल रहे है।
सरकार की आलोचना करने वालों का सूचना पहुंचने वाले तंत्रों ने बायकाट कर दिया है।
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