8 नवंबर 2016 कि सुबह एक सामान्य सुबह थी प्रत्येक दिन की भाति लोग अपने बिस्तरों से उठे और अपनी दैनिक दिनचर्या में मशगूल हो गए। लोग इस बात से पूरी तरह अनजान थे कि उन पर आज कोई विपदा आने वाली है। प्रकृति द्वारा आने वाली आपदाओं से हम हमेशा अनजान ही होते हैं। लेकिन नवंबर 2016 की यह आपदा प्राकृतिक नहीं था। यह एक सरकारी आपदा था जो समस्त भारतीयों के लिए मुसीबत का सबब बन गया।
नंबर वन की चाह! और इतिहास में सर्वप्रथम कुछ अलग करने की एक सनकी सरकार की इच्छा ने देश के 130 करोड़ जनता को मुसीबत में डाल कर देश की अर्थव्यवस्था चौपट करने की नींव रख दी। भारतीय मुद्रा से 1000 और 500 के नोटों को अवैध घोषित कर उन्हे चलन से बाहर कर दिया। अब यह नोट कागज़ के रद्दी समान हो चुके थे और इन्हें सिर्फ बैंकों में ही बदला जा सकता था।
जिस रात नोटबंदी की गई वह दिन मंगलवार था लेकिन लोगों के लिए यह फैसला मंगलमय नहीं था। अगली सुबह बुध को जैसे ही लोगों को इस फैसले के बारे में मालूम हुआ सब अपना शुद्ध खो बैठे। क्योंकि भारतीय संस्कृति में यह शादियों का सीजन था। नवंबर के आसपास वाले महीनों में ही सर्वाधिक शादियां संपन्न होती है साथ ही अनेक विश्व विद्यालयों में नामांकन प्रक्रियें जारी थी. जो पूरी तरह ठप हो गई। पैसे के आपातकाल का यह दौर ने कई निर्दोषों की जिंदगीयां छीन ली।
बंद रूपयों को बदलने के लिए बैंकों के बाहर लंबी-लंबी लाईनें लगाने लगी एक बार में बैंक 5000 से ज्यादा रकम को नहीं बदल रहे थे एटीएम से पैसे निकालने व जमा करने का दौर समाप्त हो चुका था। क्योंकि नए नोटों का साइज पुराने नोटों से अलग था जो एटीएम में फिट नहीं बैठ रहा था लोग अपने मेहनत से कमाई पूंजी को एक झटके में खो चुके थे उस समय पैसों को बदलना लोहे के चने चबने से कम नहीं था। इसलिए प्रत्येक दिन लोग सदमे से दम तोड़ते जा रहे थे।
फिर भी दिल्ली की गद्दी पर बैठी सरकार के कान में जू नहीं रेंग रही थी वह बार-बार इस फैसले को जायज बता रही थी, और हफ्ते बाद सब ठीक हो जाने का दावा कर रही थी. तकरीबन 3-4 महीने बाद बैंकों की लाइनों में हल्की फुल्की कमी पाई गई। लेकिन अब भी हालात समान्य नहीं हुए थे। सरकार का दावा था कि नोटबंदी से विकास को रफ्तार मिलेगा लेकिन आज 4 साल बाद जीडीपी – 23% नीचे चली गई है।
4 वर्ष पूर्व सरकार द्वारा नोटबंदी के गलत फैसले ने देश को खोखला बना दिया है। कुछ दिनों पहले तक सरकार इस फैसले को सही बता रही थी लेकिन वर्तमान हालात को देख कर इसपर कुछ भी बोलने से किनारा कर लेती है। केंद्र में बैठी मोदी सरकार के भाषणों को छोड़कर उसके समस्त योजनाएं देश को खोखला बनाने में समर्पित हुए है। इस सरकार की एक भी योजना सही से जमीन पर नहीं दिखती है।
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