नई दिल्ली: बहुचर्चित निर्भया गैंगरेप मडर केस के चारों दोषियों को आज 20 मार्च 2020 की सुबह 5:30 बजे फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। फांसी द्वारा दरिंदों के जीवन लीला की समाप्ति की पुष्टि तिहाड़ जेल प्रशासन ने की।
कानूनी दांवपेच के बीच निर्भया को इंसाफ मिलने में घटना के दिन से आज तक 2651 दिन लग गए निर्भया की मां ने अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए लगातार जूझती रही, 7 साल 3 महीने 4 दिनों तक लगातार अदालतों से सड़कों तक न्याय पाने के लिए कठिन लड़ाइयों का सामना किया।
एक लंबे अरसे के बाद एक मां द्वारा बेटी को न्याय दिलाने वाली लड़ाई रंग लाई. निर्भया के साथ दरिंदगी करने वाले दरिंदों के जीवन लीला का फांसी द्वारा अंत कर दिया गया।
इस मौके पर निर्भया की मां आशा देवी की आंखें नम थी. उन्होंने कहा कि “आज देश की बेटियों को इंसाफ मिला है”
फांसी पा चुके दरिंदों ने इस कहानी के अध्याय की शुरुआत 16 दिसंबर 2012 की रात एक प्राइवेट चलती बस में की थी और इनका शिकार बनी थी दिल्ली की पैरामेडिकल कॉलेज की एक छात्रा, 6 लोगों ने मिलकर छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार किया था और खूब पीटा था। इस घटना ने देश को झकझोर कर रख दिया था।
निर्भया के साथ अपने हवस का भूख मिटा लेने के बाद दरिंदों ने चलती बस से उसे बाहर फेंक दिया था। अर्धमरा बेहोशी की हाल में मिली निर्भया इलाज के दौरान सिंगापुर के एक हॉस्पिटल में 29 दिसंबर 2012 को दम तोड़ दिया।
पुलिस ने एक नाबालिग समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया। नाबालिग लड़के को एक तय सीमा तक बाल सुधार गृह में रखा गया और उसके बाद छोड़ दिया गया 5 आरोपियों में से एक आरोपी ने तिहाड़ जेल में ही गमछे की मदद से खुद को फांसी के हवाले कर दिया था।
बाकी चार दरिंदों पर आरोप सिद्ध होने के बाद तिहाड़ जेल प्रशासन ने कोर्ट के आदेश पर 20 मार्च 2020 की सुबह 5:30 बजे फांसी के फंदे पर लटका दिया।
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