संवाददाता: एमडी० ताहा वारसी
देवरिया- यह कहते टी०ई०टी० धारकों की आंखें भर आई कि हम पात्र हैं तो बेरोजगार क्यों हैं। आखिरकार इस क्यों का जवाब कहां मिलेगा। कौन देगा यह बात समझ से परे है।
आज प्रदेश में शिक्षा को सुधारने हेतु शिक्षा का अधिकार लागू है। प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने हेतु शिक्षा पात्रता परीक्षा लागू किया गया ऐसे में बीएड० एवं अन्य प्रशिक्षण धारक इस उम्मीद के साथ टी०ई०टी० में बैठे और उत्तीर्ण किया कि शिक्षक बन जाएंगे।
अब इनका भाग्य कहें या सरकार की गैर जिम्मेदारी आज भी यह पात्र लोग खाक(मिट्टी) छान रहे हैं और इस उम्मीद में बैठे हैं कि किसी के समझ में योग्यता की कदर हो और इनको जगह मिल सके आयु के इस पड़ाव में यह लोग जाएं भी तो कहां सारा समय तो शिक्षण व प्रशिक्षण में बिता दिये ऐसे में सरकार को इन पात्र लोगों के बारे में जरूर सोचना चाहिए ताकि इन्हें इनका उचित हक मिल सके और अच्छे शिक्षकों की नियुक्ति की जा सके और निराश व हताश अभ्यार्थी अपने मार्ग से विचलित ना हो पाए।
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