कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण ने पूरे देश के शिक्षण संस्थानों को विरान कर दिया है लेकिन मीना मार्केट की तरह सजने वाली चुनावी रैलियां अपने उरूज पर है और कोविड -19 की खतरे से सुरक्षित है।
संक्रमित वायरस के खतरनाक रवैये के कारण 10वीं की परीक्षा रद्द तथा 12वीं की परीक्षा टाल दी गई है गौरतलब है कि छोटे-बड़े चुनाव न ही रद्द हुए है और न ही उनकी तारीखों में परिवर्तन किया गया है।
शिक्षा और शिक्षण संस्थानों पर covid-19 के सभी गाइडलाइन लागू है लेकिन चुनाव और चुनावी रैलियों पर इसका कोई प्रभाव नहीं दिख रहा है। सत्ताधीश मंत्री, गृहमंत्री, प्रधानमंत्री समेत दर्जनों मुख्य्मंत्री प्रत्येक दिन चुनावी रैलियों में कोविड-19 के गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
सड़कों पर चल रहे राहगीरों से मास्क के लिए जुर्माना वसूलने वाली पुलिस चुनावी रैलियों में दर्शक बनकर चुपचाप तमाशा देख रही है जहां पर कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव का किसी भी नियम का ठीक से पालन नहीं किया जा रहा है।
केंद्र की घोर नाकामी के कारण कोरोना वायरस ने देश में प्रवेश किया लेकिन सरकार इस जानलेवा बीमारी को लेकर ज्यादा सचेत नहीं थी जब उसे इस बीमारी के संक्रमण से निपटने के लिए अस्पताल और दवाओं की व्यवस्था करनी चाहिए थी उस समय यह लोगों से ताली, थाली, दिए, लालटेन जलवा रही थी।
एक बार फिर कोरोना वायरस के संक्रमण ने देश में रफ्तार पकड़ा है और प्रत्येक दिन नया रिकॉर्ड बना रहा है। लेकिन सरकार चुनाव में व्यस्त है, दिन में वह कोविड-19 के गाइडलाइन की अर्थी उठा रही है और शाम होते ही इससे बचने का सुझाव देती है। कोविड शिक्षा की आबरू पर हाबी और चुनावी रैलियों पर मेहरबान है।
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