कोरोना वायरस: रविशंकर की अर्थी को नहीं मिले चार हिंदू कांधे!

उत्तर प्रदेश– कोरोना वायरस का दहशत पूरे विश्व में फैला हुआ है इस वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पूरे भारत को लॉक डाउन कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में शनिवार की सुबह एक लड़का अपने रिश्तेदार और दोस्तों को फोन करता है कि उसके पिता का निधन हो गया है पास पड़ोस के लोगों को भी पिता की मृत्यु की जानकारी देता है लेकिन कोरोना वायरस के दहशत से उसके घर ना ही रिश्तेदार दोस्त पहुंचते हैं और ना ही कोई पड़ोसी!

पिता का दाह संस्कार करने के लिए इस लड़के को चार कांधे जुटाना एक पहाड़ बन गया था। सूचना देने के बावजूद दोस्त, रिश्तेदार व पड़ोसी उसके घर नहीं पहुंचे। पिता की मृत्यु से गमगीन बेटे ने रिश्तेदारों पड़ोसियों व दोस्तों की इस रवैया पर हैरान था और अपनी किस्मत को कोस रहा था। उसके ज़हन में बार-बार ख्याल आ रहा था कि पिता की अर्थी को शमशान तक कैसे ले जाऊं! कुछ ही देर में रविशंकर की मृत्यु की खबर पूरे गांव में फैल गई, चर्चाएं होने लगी कि उसके दाह संस्कार के लिए कोई खड़ा नहीं हो रहा है।

मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग रविशंकर के घर पहुंचे और अर्थी तैयार कराई, पूरे हिंदू रीति रिवाज से मृतक रविशंकर की अर्थी को कंधों पर उठाकर “राम नाम सत्य है” बोलते हुए काली नदी के निकट वाली शमशान घाट की तरफ चल दिए। इस दौरान मृतक के बेटे को छोड़कर दूसरा कोई हिंदू मौजूद नहीं था। मुसलमानों द्वारा रविशंकर का चीता का इंतजाम किया गया। पिता के मुख्य अग्नि उसके बेटे द्वारा दी गई।

बुलंदशहर के आनंद विहार निवासी रवि शंकर बेहद करीब था। कोरोना वायरस के डर से मृतक के अंतिम संस्कार में पास पड़ोस के लोगों समेत दोस्त व रिश्तेदार भी नहीं पहुंचे। गांव के मुसलमानों द्वारा पूरे हिंदू रीति रिवाज से रविशंकर को अंतिम विदाई दी गई, मुस्लिमों ने दुखी परिवार को हर संभव मदद देने का आश्वासन भी दिया।

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