नई दिल्ली – देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ० मनमोहन सिंह ने कहा कि पूरा राष्ट्र मंदी की चपेट में है। और सरकार इस “मंदी” को स्वीकारने से मना कर रही है।
पूर्व प्रधानमंत्री ने हैरानी जाहिर करते हुए कहा कि जब हम सही समस्या का पहचान ही नहीं कर पाएंगे तो उस समस्या को हल करने के लिए निश्चित उपाय भी नहीं खोज पाएंगे।
वास्तविक बात यह है कि मंदी से नकार कर सरकार एक बड़े खतरे को नेवता दे रही है। जिससे निपटना आसान नहीं होगा।
सरकार को मंदी शब्द स्वीकार कर उसे हल करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। जिससे देश पर मंडरा रहे खतरे के बादल टल सके।
“बैकस्टेज” मोंटेक सिंह आहलूवालिया की किताब का लोकार्पण के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि योजना आयोग के उपाध्यक्ष ने यूपीए सरकार के अच्छे कामों के बिंदुओं के साथ उसकी कमजोरियों का भी जिक्र किया है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि मुझे लगता है कि इस मुद्दे पर चर्चा होगी, बहस होनी चाहिए। आगे मौजूदा हुकमरा पर निशाना साधते हुए कहा कि आज ऐसी सरकार है कि वह मंदी शब्द को स्वीकारने का नाम नहीं ले रही है जो देश के लिए ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि अगर आप उस समस्या की पहचान नहीं कर पा रहे हैं जिससे आप स्वयं जूझ रहे हैं तो उसके लिए एक निश्चित हल खोजना नामुमकिन है मुख्य खतरा इस बात का है।
“बैकस्टेज” पुस्तक को पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि यह देश के विकास के लिए काफी मददगार होगी।
साथ ही 1990 के दशक में नरसिंह राव, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और मोंटेक सिंह आहलूवालिया द्वारा अर्थव्यवस्था में उदारीकरण का समर्थन देने के लिए डॉ मनमोहन सिंह ने उनका शुक्रिया अदा किया।
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