भारत मंदी के दौर से गुजर रहा है। बेरोजगारों की एक लंबी कतार पहले से खड़ी थी।
जिसमें अब वह लोग भी शामिल हो रहे हैं जिनके पास रोजगार था मंदी की चपेट में आई कंपनियां अपने श्रमिकों को निकाल रहे हैं।
कंपनियों के पास प्रोडक्शन के लिए आर्डर नहीं है। दिन प्रतिदिन यह समस्या और गहरा होता जा रहा है।
रोजगार श्रमिक बेरोजगार हो रहे हैं। घाटे में चल रही कंपनीया बंद हो रही है।
मंदी पर मौनाता सरकार की नाकामी प्रदर्शित करता है।
अगर सरकार मंदी पर अंकुश लगाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाई तो हालात और भी बदतर हो जाएंगे।
जब लोगों से उनका रोजगार छिन जाएगा, ज्यादा तर टैक्स देने वाली कंपनियां बंद हो जाएंगी, सस्ते दामों पर मिलने वाले सामान महंगे हो जाएंगे
मांग की अपेक्षा वस्तुओं का अभाव हो जाएगा, तो निसंकोच देश में आर्थिक रूप से कमजोर हो जाएगा।
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