आज का भारत अपनी तुलना अक्सर पाकिस्तान से क्यों करता है?

तेजी से तरक्की करने की जिज्ञासा रखने वाला हर व्यक्ति, हर देश, हर छोटे-बड़े उपकरण जब अपना विस्तार करता है तो सबसे पहले अपने से बड़ों की खूबियों का अपने अंदर अनुकरण करता है समस्त अध्ययन करने के बाद जब वह अपना विस्तार करना शुरू करता है तो उसका लक्ष्य या तो अपने से बड़ों तक पहुंचने का होता है या उससे आगे कुछ नया करने का, दुनिया की यही रीति है।

सदियों से विश्व गुरु रहा भारत अपनी तुलना अपनी नज़रों में शक्तिशाली मुल्क पाकिस्तान से कर रहा है। पाकिस्तान के संदर्भ में मैं बस इतना ही कह सकता हूं कि भारत में भिखारियों की संख्या के बराबर उसकी कुल जनसंख्या है। (1,387,297,452) करोड़ की जनसंख्या वाले देश भारत के समस्त नागरिकों का एक दिन का खर्च पाकिस्तान कि वार्षिक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) दर है। क्षेत्रफल व आबादी की दृष्टि से पाकिस्तान उत्तर प्रदेश के बराबर है।

1947 में हिंद से अलग हुआ पाकिस्तान एक धार्मिक आधार पर अपनी संरचना की। धार्मिक उन्माद और अल्पसंख्यकों की प्रताड़ना की वजह से पाकिस्तान का स्वरूप दुनिया में विख्यात है। 881,913 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाला देश आतंकवाद के खिताब से सरफराज है। हमारा देश भारत पाकिस्तान से 20-25 गुना अधिक शक्तिशाली है। फिर भी भारत का पाकिस्तान से अपना तुलना करना कुछ अजीब लगता है।

डॉक्टर कलाम कहते थे “हम जैसा सोचते हैं वैसा बन जाते हैं” पाकिस्तान से अपनी तुलना करते-करते हम उसके जैसे बनना शुरू हो चुके हैं। एक धर्म निरपेक्ष देश का धार्मिक आधार पर पुनः संरचना करने का सूर गुजने लगे हैं। राष्ट्रपिता के हत्यारों को देशभक्त बताने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पाक के तौर पर अल्पसंख्यकों की प्रताड़ना का शरुआत हो चुका है। मोब लिंचिंग के नाम पर बेकसूर अल्पसंख्यकों की हत्याएं जारी है।

आपको पूरा क्रोनोलॉजी समझाता हूं। इस प्रकार से अल्पसंख्यकों की प्रताड़ना कर विश्व गुरु नहीं बल्कि जनता को मूर्ख बनाकर अधिक समय तक सत्ता पर काबिज रहा जा सकता है। देश को आगे बढ़ाने के लिए नहीं बल्कि सत्ता में काबिज रहने के लिए आज के परिवेश के सियासतदां बहुसंख्यकों में अल्पसंख्यकों के प्रति नफ़रत घोल रहें है और देश की तुलना पाकिस्तान से कर रहे है। वो पाकिस्तान जो हमारे देश के एक कोने से भी कम जगह में बसता है। अगर एक पहाड़ अपनी तुलना चींटी से करें तो चींटी का तो नहीं लेकिन पहाड़ की मूर्खता कही जाएगी।

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