बघौचघाट- विकासखंड पथरदेवा के बघौचघाट में स्थित आंध्रा बैंक के निकम्मे कर्मचारियों ने बैंक का तमाशा बना कर रख दिया है।
आए दिन ग्राहकों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। पैसा जमा करने वह निकालने के लिए लंबी लाइनों में लंबे समय तक खड़ा रहना पड़ता है।
वही बैंक कर्मचारियों द्वारा सर्वर डाउन (Server down) व नो कैश (No Case) का बोर्ड चश्पा कर देना आम बात हो गई है।
बघौचघाट के आंध्रा बैंक में लगभग 10 हजार से ज्यादा ग्राहक है। प्रत्येक दिन 1000 से 1500 ग्राहक बैंक से रुपए आदान-प्रदान के लिए आते हैं।
2013 में स्थापित हुआ यह बैंक अपने कार्य के लिए जाना जाता था। बैंक कर्मचारियों की सराहनाये पूरे क्षेत्र में हुआ करती थी।
नियुक्त कर्मचारी बहुत तेजी से कार्य करते थे। जिससे बैंक में कभी भीड़ इकठ्ठा नहीं होता था। ग्राहकों के जामा निकासी व खाता खोलने का फार्म वहीं लोग भर देते थे।
सभी ग्राहकों से प्रेम भरे स्वर में वार्तालाप करते थे। और सभी की बात सुनते थे। उन कर्मचारियों के इस व्याहर व कठीन मेहनत ने इस बैंक में ग्राहकों का अंबार लगा दिया।
अगर बात 2016 के नोटबंदी की दौर का करे तो देवरिया जिला का यह एकलौता बैंक था जहां पर कभी भी हंगामा नहीं हुआ।
नोटबंदी के दौर में भी यह बैंक, ग्राहकों का उसी प्रकार से ख्याल रखा। लेकिन यह सब पुरानी बातें हो चली है। उन कर्मचारियों का इस बैंक से स्थानांतरण हो चुका है।
जिन कर्मचारियों का पुराने लोगों की जगह नियुक्ति हुई है उनके आलसपन्न ने इस बैंक को नर्क से भी बदतर बना दिया है।
बैंक के कर्मचारियों के व्यवहार और उनके कार्यशैली को देखते हुए अब ग्राहक इस बैंक से आजादी चाहते हैं।
लेकिन क्या करे बघौचघाट में स्थित पूर्वांचल ग्रामीण बैंक की हालत भी इससे बेहतर नहीं है। हम कह सकते हैं कि यह दोनों बैंक एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और दोनों की समस्या एक दूसरे से मिलती जुलती है।
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