बैंगलोर: कर्नाटक से अपने प्रदेश वापस जाने की तैयारी करने वाले प्रवासी मजदूरों के लिए बुरी खबर है। येदुरप्पा सरकार ने कर्नाटक से विभिन्न प्रदेशों में प्रवासी मजदूरों को लेकर जाने वाली विशेष ट्रेनों को रद्द कर दिया है।
नोडल अधिकारी एन मंजूनाथ प्रसाद रेलवे बोर्ड को पत्र लिखकर 6 मई से प्रवासी मजदूरों को लेकर जाने वाली विशेष ट्रेनों को रद्द करने का आदेश दिए हैं। सरकार ट्रेन रद्द करने का कारण स्पष्ट नहीं किया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कर्नाटक सरकार बिल्डरों (निर्माताओं) के दबाव में आकर ट्रेन रद्द करने का फैसला किया है। कर्नाटक का पिनिया (Peenya) उद्योग का बड़ा क्षेत्र है। जिसमें हजारों की संख्या में छोटी-बड़ी कंपनियां है। उत्तर प्रदेश, बिहार/झारखंड व उड़ीसा के तकरीबन 85% मजदूर इन कंपनियों में कार्यरत हैं।
निर्माता उत्तर प्रदेश, बिहार/झारखंड व उड़ीसा के कामगारों पर आश्रित है। ऐसे में अगर स्पेशल ट्रेने चलाकर इन मजदूरों को उनके प्रदेश वापस भेज दिया जाता है तो इनकी कमर टूट सकती है। प्रत्येक दिन भारी संख्या में करोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच प्रवासी मजदूरों को रोकने के लिए बैंगलोर की 45% से ज्यादा फैक्ट्रियां स्टार्ट कर दी गई है।
ट्रेने बंद होने के बावजूद भी निर्माता कंपनियां प्रवासी मजदूरों को रोकने के लिए अपना अलग तरकीबें लगा रही है। एमडीआई हिंदी ने बेंगलुरु के कंपनियों में काम कर रहे यूपी बिहार के अनेक मजदूरों से बात की है, सबका यही कहना है कि कंपनियां इस महीने पूरा भुगतान नहीं करेंगी।
कंपनियों का कहना है कि लाक डाउन के 30 से 35 दिन बाद फैक्ट्रियां स्टार्ट हुई है। ऐसे में इस महीने मजदूरों को जरूरत भर पैसे दिए जाएंगे और अगले महीने सब जोड़कर उन्हें भुगतान कर दिया जाएगा। अनेक कंपनियां अपने श्रमिकों के खाने-पीने का साप्ताहिक राशन भी मुहैया करा रही हैं।
कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रभाव को रोकने के लिए देश में लगा अचानक लॉक डाउन प्रवासी मजदूरों पर विपत्ति का पहाड़ तोड़ दिया। प्रत्येक दिन कमाने खाने वाले मजदूर भुखमरी की चपेट में आ गए। समस्त दैनिक सेवाएं बंद होने के कारण वह अपना प्रदेश वापस नहीं जा सके। ऐसे में केंद्र व राज्य की सरकारों ने फसे प्रवासी मजदूरों को वापस भेजने के लिए विशेष बस व ट्रेन चलाने की घोषणा की।
देश के दक्षिणी छोर पर बसा कर्नाटक से दो स्पेशल ट्रेनें फसे प्रवासी मजदूरों को लेकर बिहार व झारखंड के लिए रवाना हुई, जिसके बाद निर्माता कंपनियों में हड़कंप मच गया। सूत्रों के अनुसार निर्माता कंपनियां मजदूरों को रोकने के लिए सरकार पर दबाव बनाने लगी अंत में येदुरप्पा सरकार को बिल्डरों की बात स्वीकार करना पड़ा। जिसके बाद विशेष ट्रेने रद्द करने के निर्देश जारी कर दिए।
कंपनियों को पैसे कमाने की चिंता है तो वहीं सरकार को टैक्स वसूलने की। ऐसे में निर्माताओं व सरकार द्वारा फसे प्रवासी मजदूरों के साथ इस प्रकार की तुच्छ कृति अत्यंत निंदनीय है। इस मुसीबत की घड़ी में फंसे मजदूरों को बंधक बनाकर उनके प्रदेश वापसी रोकने के लिए जबरन कार्य करवाना लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है।
स्वतंत्र भारत के मजदूरों को बंधक बनाकर जबरन कार्य करवाया जाए तो इससे ज्यादा शर्म की बात और क्या हो सकती है। वो भी जानलेवा कोरोना वायरस के तेजी से बढ़ते संक्रमण के बीचों बीच!
कर्नाटक सरकार को केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन करते हुए फसे प्रवासी मजदूरों को उनके प्रदेश वापस भेजने के लिए पुनः रद्द की गई स्पेशल ट्रेनों को शुरू करना चाहिए। जिससे फसे प्रवासी मजदूर सकुशल अपने प्रदेश वापस लौट सकें।
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