जुलकर नैन की कलम से…
कुछ साल पहले ब्रिटेन में एक शोध किया गया और इस शोध से यह बात उजागर हुई की 8 से 12 वर्ष के उम्र के बच्चों में हर पांच बच्चों में से एक बच्चा ऐसा है जो प्रकृति से लगाव रखता है।
ब्रिटेन के नेशनल ट्रस्ट ने इस समस्या को नेचर डिफिसिट डिसऑर्डर नाम दिया नेचर डिफिसिट डिसऑर्डर यानी प्रकृति से लगाव की कमी। ब्रिटेन नेशनल ट्रस्ट ने यह साबित किया यह बीमारी नहीं एक समस्या है।
बच्चों को प्रकृति से जुड़ाना बहुत जरूरी है वह एक कृतिम जीवन के मायाजाल में फंसते चले जा रहे हैं जब यह कुदरत के करीब आएंगे तो वह पर्यावरण और धरती को बखूबी समझेंगे इसे बचाने की कोशिश करेंगे।
यही उनका असली जीवन होगा प्रकृति अपने आप में पूरी तरह पाठशाला है हवा की सनसनाहट, धूप की तपिश, फूलों की सुगंध, भंवरों की गुंजन, झरनों और नदियों की कलकलाहट, कोहरे की रहस्यात्मकता, पत्तों पर जमी उसकी पवित्रता और निश्छलता| पता नहीं कितने रूप हैं प्रकृति के।
जब हम अपने जीवन के तनाव और दबाव से दूर जाना चाहते हैं तो हम कुदरत के पास जाएं तनाव और दबाव अपने आप दूर होने लगेगी हम अपने बच्चों और परिवार को प्रकृति से जोड़ें|
हम कुदरत के करीब जाएं हम फूलों को मुस्कुराते हुए देखें, हम पहाड़ों को गर्व से तने हुए देखें, जब हम सूर्योदय और सूर्यास्त देखेंगे तो फिर देखेंगे जीवन पर कितना अच्छा असर होता है।
ब्रिटेन के नेशनल ट्रस्ट ने जो शोध किया वह केवल ब्रिटेन में किया| अगर पूरे दुनिया में इस तरह का शोध हो तो हो सकता है कि यह जो आंकड़ा है वह 5 में से 1 बच्चे को ही प्रकृति से लगाव है। यह आंकड़ा और भी घट सकता है।
पूरे दुनिया में देखें तो बच्चों के हाथों में आधुनिक गैजेट है, किताबों से बहुत दूर हैं, घर से बाहर निकलने की आदत नहीं है। वह बंद कमरों में सिमते जा रहे हैं। चाहे वह घर का कमरा हो या स्कूल, मैदानी गतिविधियां घटती जा रही है।
दैनिक जीवन की व्यस्ततायें बढ़ती जा रही हैं। बड़ों के साथ-साथ छोटे बच्चों को भी अपना कोर्स पूरा करने के लिए मासिक परीक्षा देना पड़ता है। अपने प्रोजेक्ट के लिए आधुनिक बच्चे इतने बिजी होते जा रहे हैं। खुद के फुर्सत के लिए उनके लम्हे कम पड़ते हैं।
इसके बाद भी थोड़ा बहुत जो भी समय मिलता है। उस वक्त यह टीवी मोबाइल फोन या गेम खेलना पसंद करते हैं हम कह सकते हैं कि आधुनिक संसाधनों ने आज के बच्चों को पूरी तरह जकड़ लिया है जो प्रकृति प्रेम से रोकता है।
अगर आपके आसपास बहती हुई नदियां, तालाब, पहाड़, झरने या बाग बग़ीचे हो। तो वहां आप खुद और अपने बच्चों और दोस्तों को भी उस जगह से रूबरू कराएं। वास्तव में आपके जीवन का एक यह अलग अनुभव होगा। आपके अंदर प्रकृति प्रेम जागृत होगी। यूं कहें कि प्रकृति से दोस्ती का दरवाजा खुल जाएगा।
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