पासपोर्ट सत्यापन के नाम पर बेरोजगारों का शोषण करती है बिहार पुलिस।

पटना – बिहार में पासपोर्ट बनवाना बेरोजगारों के लिए एक बड़ी चुनौती है. सरकार को पासपोर्ट बनवाने के लिए 1500 रुपये देना होता है. जबकि बिहार के समस्त थानों के दरोगा जी सत्यापन के नाम पर मूंह मांगी रकम चार्ज करते है।

बेरोजगार युवा नौकरी न मिलने से हताश है, देश में स्थापित समस्त सरकारें लोककल्याणकारी योजनाएं बनाने में असफल है. जिसके कारण अरबों की आबादी वाले देश में हर वर्ष लाखों युवा बेरोजगार हो रहे है. घर परिवार की जीविका चलाने के लिए युवा विदेश जाना चाहते है, वहां नौकरी आसानी से मिल जाती है।

अपना वतन छोड़ कर दूसरे प्रदेश जाने के लिए पासपोर्ट की आवश्कता होती है। भारत सरकार ने पासपोर्ट के लिए 1500 रूपये फीस रखा है। पासपोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर अपना पूरा विवरण देना होता है और यही पर फीस ऑनलाइन जमा करना होता है।

पासपोर्ट आवेदन और फीस भर देने के बाद आवेदक को एक समय दिया जाता है उस समय वह अपने ओरिजनल दस्तावेज लेकर पासपोर्ट सेवा केंद्र (PSK) जाता है। आवेदक का दस्तावेज पासपोर्ट अधिकारी जांच कर आगे प्रक्रिया में डाल देता है.

पासपोर्ट प्रार्थी को सौपने से पहले क्षेत्रीय थाना सत्यापन करता है. जिसके लिए दरोगा जी आवेदकों से मनमानी रकम वसूल रहे हैं. सरकार कहती है कि पासपोर्ट का सत्यापन निशुल्क है फिर सभी थानों में इंक्वायरी के नाम पर 2000 से 2500 रुपए क्यों चार्ज किए जा रहे हैं?

बेरोजगार युवाओं के लिए पासपोर्ट बनवाना मुसीबत बन गया है। सरकार और जिम्मेदारों को चाहिए कि थानों में पासपोर्ट इंक्वायरी के नाम पर हो रही लूट का निष्पक्ष जांच कर दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करें. ताकि लूट करने वाले अधिकारियों पर लगाम लग सके. और बेरोजगार युवाओं का पासपोर्ट बनवाने की प्रक्रिया आसान हो सके.

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