आज का नया भारत पुराने भारत से अलग है यह भारत महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, अशफाकुल्लाह खान, वीर अब्दुल हमीद, भगत सिंह, जैसे वीरों द्वारा संरक्षित राष्ट्र से अलग अपना खाका तैयार कर रहा है।
जो देश पूरे विश्व को अपना परिवार मानता है उस देश में नफरत की सियासते कुछ इस तरह हावी हुई हैं कि वह अपने ही नागरिकों से नागरिकता का प्रमाण मांग रही हैं।
जिससे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नागरिक आज सड़कों पर आ गए हैं और सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे हैं।
आपको बता दें कि पिछले दिनों बाबा साहब भीमराव अंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान को ताक पर रखकर लोकसभा और राज्यसभा के दोनों सदनों में नागरिकता संशोधन एक्ट लाया गया।
इस बिल में कहा गया कि हम भारत के अंदर पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के गैर मुस्लिमों को नागरिकता प्रदान करेंगे।
मतलब साफ है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से किसी भी धर्म के लोग भारत की नागरिकता अगर वह चाहे तो ले सकते हैं बस मुस्लिम छोड़कर।
स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह पहला बिल है जो धार्मिक आधार पर पारित हुई है। पुराने भारत ने यह कसम खाई थी कि हम धार्मिक आधार पर अपने नागरिकों से भेदभाव नहीं करेंगे।
और ना ही उनके विरुद्ध कोई नया कानून बनाएंगे। धार्मिक आधार पर भेदभाव और कानून न बनाने की कसम खाने वाले यह वही लोग थे जिन्होंने अंग्रेजों के जुल्म झेले थे।
अपनी नजरों के सामने अपने परिवार को बर्बाद होते देखा था उनकी आंखों के सामने ही उनके मासूम बच्चों को शहीद किया गया था।
वह दर्द और वह डर महसूस किया था जो आज फिर आजादी के 70 साल बाद भारत की जनता महसूस कर रही है
और इसलिए आज वह सड़कों पर आमादा है और इस बिल की वापसी की मांग कर रही है। दुनिया का सबसे शक्तिशाली मुल्क अमेरिका ने भी गृहमंत्री पर बैन लगाने की मांग की है।
नागरिकता संशोधन बिल संविधान की धज्जियां उड़ाता है। हालांकि गृह मंत्री यह बात कह रहे है कि किसी को डरने की जरूरत नहीं है इस बिल से किसी को नुकसान नहीं होगा।
यह बिल उस समय पास किया गया है। जब भारत मंदी से जूझ रही है लोगों के पास रोजगार नहीं है सरकार के पास मंदी से निपटने का कोई ठोस उपाय नहीं है।
फिलहाल हिंदुस्तान की जनता सड़कों पर है और पुलिस उन पर लगातार लाठीचार्ज और गैस के गोले दाग रही है ताकि वह सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन नहीं कर सके कई राज्यों से इंटरनेट बंद होने की खबरें भी आ रही है।
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