देवरिया– जी हां मैं मध्यमिक शिक्षा में वित्तविहीन शिक्षकों का सही सूरत ए हाल बता रहा हूं। जो मेहनत ईमानदारी से अपने फर्ज को सही अंजाम देकर माध्यमिक शिक्षा को सम्मानजनक स्थिति में खड़ा किए हैं।
लेकिन अपनी जरूरी जरूरीयात (आवश्यक आवश्यकता) की पूर्ति भी नहीं कर पाते। दुनिया के किसी कोने या कल्चर में ऐसा नहीं पाएंगे जहां व्यक्ति जितने हजार रूपए मासिक पर काम करता हो उतने सैकड़े भी समय पर न मिल पाता हो। आप कहीं न जाए वह माध्यमिक शिक्षा में वित्तविहीन शिक्षक हैं और उनकी यह सूरत ए हाल सामान्य दिनों की है। Lock Down में उनकी स्थिति का आप अंदाजा लगा सकते हैं।
पिछली सरकार की एक नजर वित्तविहीन शिक्षकों पर पड़ी थी। उसने मेहरबानी की भीख के माफिक ₹1000 मासिक का जोड़कर 6 महीने का ₹6000 दिए तो पत्थर पर दूब जमने वाली कहावत चरितार्थ हुई, उम्मीद की किरण दिखाई दी लेकिन कालांतर में वह सूक्ष्म मानदेय भी पहला और आखरी साबित हुआ।
ऐसे में यह अंदाजा लगाना कोई मुश्किल नहीं कि भारत का भविष्य संवारने वाले वित्तविहीन शिक्षकों का यह हाल है तो राष्ट्र का क्या होगा? ले-दे के आदेश पारित होता है कि प्रबंधनतंत्र अपने शिक्षकों का शिक्षाणेत्तर – कर्मचारियों को वेतन / मानदेय दे वह भी इस लॉक डाउन के विषम परिस्थिति में।
लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि स्कूल कॉलेज बंद पड़े हैं। महीने का 2000 से 2500 सौ रुपए मिलने वाला परिश्रमिक भी बंद है। माध्यमिक शिक्षा में शिक्षासंघ व शिक्षक नेताओं की कमी नहीं है। चुनाव करीब आने पर वित्तविहीन की सारी समस्या का निदान कराने की बात करते हैं लेकिन खत्म होने पर शिक्षक पूछते हैं नेताजी कहां है। “कौन नेता जी”? वही नेता जी जिनके हम वोटर हैं।
ऐसे में सवाल शिक्षक नेताओं की नीति नियति और नेतृत्व पर भी खड़ा होता है। ऐसे में आप सभी वित्तविहीन शिक्षक साथियों से दरख्वास्त (विनम्र निवेदन) है कि आप सभी अकेले-अकेले एक निश्चित समय में अपनी व्यथा पत्र के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी तक पहुंचाएं। हो सकता है कि आपकी यह बेदारी आपकी समस्या का समाधान बन जाए।
Lock down के नियमों का पालन करें स्वयं हित में, समाज हित में, राष्ट्रहित में, Covid-19 की गंभीरता को नजरअंदाज न करें अपना बचाव करें क्योंकि बचाव ही सबसे अच्छा उपचार हैं।
Mdi Hindi से जुड़े अन्य ख़बर लगातार प्राप्त करने के लिए हमें facebook पर like और twitter पर फॉलो करें.