संवाददाता: जुल्कर नैन
बड़ी कोशिश, बड़े वादे, हम इतनी सीट निकालेंगे, लेकिन रुझानों के बदलते परिणाम नीद उड़ाने के लिए काफी है।
दिग्गज नेताओं का आगमन, बातों की जहरमुखी जनसभाओं में खूब चली लेकिन जनता नेता लोगों के गिरगिटया अंदाज से वाकिफ है।
अमित शाह ने अपने शह से पुर्जोर कोशिश की। योगी अपने फायर ब्रांड अंदाज़ में दिखे। कुल जमा 70 सीटों के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने दो रैलियां संबोधित की ताकि मोदी ब्रांड क्षतिग्रस्त न हो
आम आदमी ने काम को आधार बनाया तो वही कांग्रेस ने बेमन चुनाव लड़कर, चुनाव की रस्मअदायगी पूरी की।
लेकिन जो यह पब्लिक है जो सब जानती है। उसने जिस को चुना उसके नतीजे देखने के लायक हैं।
दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी को 60 से ज्यादा सीटें दी तो वहीं जहरीले बोल और नफरत की सियासत करने वाली बीजेपी को सात से आठ सीटों पर समेट दी। बेमन चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस अपना खाता खोलने में भी असफल रही
सुबह से ही आम आदमी पार्टी के कार्यालय पर चहल-पहल रही तो बीजेपी के कार्यालय पर मातमी सन्नता पसरा रहा
कार्यालय पर कार्यकर्ताओं से ज्यादा पत्रकारों की भीड़ देखने को मिली जो रिंकिया के पापा और मोटा भाई के दर्शन के लिए खड़े थे।
अफसोस यह लोग लापता रहे। कांग्रेस पहले ही मैदान छोड़ चुकी है जो आत्ममंथन योग्य है।
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