नई दिल्ली: देश 74 वां स्वतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। 1947 में जब देश फिरंगियों की कैद से आजाद हो कर एक लोकतांत्रिक व्यवस्था की नींव रखी तो उसे उस समय इस बात का अंदेशा भी नहीं होगा. जिस तरह आज के हालात है।
ब्रिटिश शासन से 90 वर्ष की खूनी लड़ाई के बाद स्वतन्त्र हुआ भारत को यह ख्याल भी नहीं आया होगा कि सात दशक बाद ही आज़ादी के सेनानियों और राष्ट्र पिता को गद्दार बताया जाने लगेगा।
भारत को पूरे विश्व में खूबसूरत और शक्तिशाली, अपने नागरिकों के प्रति उदार लोकतांत्रिक व्यवस्था का अपने ही लोगों तार तार कर देंगे।
राजनीत में विधायको, सांसदो समेत समस्त राजनीतिक अभिव्यक्ति की खरीद फरोख शुरू हो जायेगी। रूपयो के दम पर सरकारें बनेगी और गिराई भी जायेंगी।
जिस तरह धार्मिक आधार पर अंग्रेजो ने भारतीयों में फूट डाली थी, उसी प्रकार धार्मिक आधार पर अपने राजनेता फूट डाल कर राज करेंगे।
लोकतांत्रिक व्यवस्था प्रणाली के तहत देश के प्रत्येक नागरिकों को चुनाव में हिस्सा लेने का प्रावधान है। पार्टी या किसी संगठन द्वारा ही उम्मीदवारों का चयन हो ऐसा कोई मानक तय नहीं है।
अगर आप में निस्वार्थ देश सेवा भाव है तो आप निर्दल भी चुनाव में हिस्सा ले सकते हैं। लोग चुनाव में हिस्सा लेते हैं और जीतते भी है।
लेकिन जितने के बाद जब इनकी कीमतें तय की जाती है. और जब यह बिक जाते है. बिका हुआ व्यक्ति समाज का किस प्रकार सेवा करेगा। इस बात को आप सभी से बताने की जरूरत नहीं है। ऐसे मुखौटे से आप जरूर परिचित होंगे।
लोकतंत्र की पवित्रता और देश की सौंदर्यता को बचाएं रखने के लिए देश की जनता को एक बार फिर कमर कसनी होगी.
चंद्रशेखर आजाद और बिस्मिल जैसी क्रांति जज्बों से नफरती राजनेताओं का राजनीतिक ताज उतारना होगा. जिससे सफल स्वतंत्र भारत का सपना पूरा हो सके जिसे भारतीय शहीद वीर सपूतों ने देखी थी।
On Lock के नियमों का पालन करें स्वयं हित में, समाज हित में, राष्ट्रहित में, Covid-19 की गंभीरता को नजरअंदाज न करें अपना बचाव करें क्योंकि बचाव ही सबसे अच्छा उपचार हैं।
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