नई दिल्ली– पिछले तीन दिनों से देश की राजधानी दिल्ली फफक फफक कर जल रही है। देश का चौकीदार इस बात से बेखबर है।
उपद्रवियों के उपद्र से 18 से अधिक मासूम जिंदगियां हिंसा की भेंट चढ़ चुकी है। 2020 का दिल्ली 2002 के गुजरात जैसे हो गया है।
नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वाले लोगो को निशाना बनाया जा रहा है। उनके घर व बस्तियां जलाई जा रही है। उनकी दुकानें तहस नहस किया जा रहा है।
देश की राजधानी में ये सब वैसे हो रहा है जैसे वहा कोई क़ानून व्यवस्था नहीं है। दिल्ली पुलिस दंगाइयों पर कार्यवाही करने से इसलिए खौफ खा रही है कि वह वहीं नारा लगा रहे है जिसका समर्थन मौजूदा सरकार करती है।
दंगाई बेखौफ हो कर दनादन फायरिंग कर रहे है। गाड़ियों को आग के हवाले कर रहे है। नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वालों को चुन चुन कर पीट रहे है।
निसंकोच कहा जा सकता है की ये लोग नया नागरिकता संशोधन कानून के समर्थक है लेकिन किसी कानून का समर्थन करना दंगा करने का आदेश कब देता है।
पिछले दो ढाई महीने से पूरे देश में नागरिकता संशोधन कानून का शांति पूर्ण विरोध हो रहा है।
दिल्ली दंगा पर सरकार की मौनता उसकी नीति को स्पष्ट रूप में प्रदर्शित करता है। आने वाले दिनों में जनता सरकार से अपनी कसक जरूर निकालेगी।
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