गुजरात – 14 मार्च 1995 से लगातार गुजरात में बीजेपी का शासन है पूरे देश में प्रधानमन्त्री गुजरात मॉडल का ढिढोरा पीटते है अब गुजरात में विधानसभा चुनाव हो रहा है. बीजेपी कई प्रदेशों के मुख्यमंत्री समेत प्रधानमंत्री को चुनाव प्रचार में उतार दिया है
चुनाव प्रचार करना अच्छी बात है लेकिन बड़ा सवाल यह है कि 27 साल तक सत्ता में रहने के बाद भी गुजरात मॉडल कैसा है? कि प्रधानमन्त्री समेत दर्जनों प्रदेश के मुख्यमंत्रीयों को प्रचार में उतारा गया है। वास्तव में गुजरात में विकास हुआ है? या केवल प्रचार हो रहा है?
गुजराती इस सवाल का बेहतर जवाब देंगे. लेकिन वहां के विकास की जानकारी से आप भी अछूते नहीं है. आपको याद होगा कि 2 तीन साल पहले उस समय के अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप गुजरात दौरे पर आए थे गुजरात सरकार ने झुगी बस्तियों पर दीवार चलवा दिया था ताकि वह छुप जाए.
सूरत के एक कोचिंग सेंटर में लगी आग में दर्जनों बच्चे इसलिए मर गए थे की वहा तीन मंजिला बिल्डिंग से उतरने के लिए एक्सट्रनल सीढ़ी नहीं थी गुजरात के मोरबी में बिना परमिशन के ही एक ब्रिज को स्टार्ट कर दिया गया पिछले महीने ही उस पूल को टूट जाने से तकरीबन डेढ़ सौ लोग मारे गए।
देश के हर प्रदेश की एक ही कहानी है गुजरात इसमें विशेष नहीं है. प्रचार कर उसे ऊंचा दिखाने की कोशिश जरूर की जा रही है. जिस प्रकार हर प्रदेश में शिक्षा जर्जर अवस्था में है, नौकरियां नहीं है, अधिकारी घूसखोर है, सरकार करप्शन मय है, ये सारी खूबियां गुजरात में मौजूद है. वहा अधिकांश ऐसे लोग है जो अपने मुख्यमंत्री का नाम तक नहीं जानते।
शिक्षा से मुझे याद आया की न्यूजलॉन्ड्री के पत्रकार ने एक गुजराती छात्र से पूछा की सरकारी शिक्षा की जर्जर्ता पर आप किसको दोषी मानते है? लड़के का जवाब था अरविंद केजरीवाल पत्रकार ने कहा उनकी सरकार तो दिल्ली में है लड़के ने कहा अभी बात नही करूंगा और फरार हो गया।
गुजरात का यही बेहतरीन मॉडल और सच है। गुजरात की जनता को चाहिए की वह बदलाव की तरफ कदम बढ़ाए ऐसा मौका बार – बार नहीं आता है ऐसी सरकार स्थापित करे जिसका विकास प्रचारों में नहीं जमीन पर दिखता हो।
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